मेरे मुन्ने मैं तेरे खातीर जीता हु
तू मेरे खातीर जीना,
मेरे सपनों में आश तेरी
मेरी आँखों मे हैं चाहत तेरी
तू मेरे सपनों में जी लेना
बन जाएगी तकदीर तेरी,
मेरी आँखों में हर पल हैं
मेरे मुन्ने बस तस्वीर तेरी,,,,,,2
मेरे मुन्ने सुन मेरी बात
जिस्से बदलेंगे जीवन
के हालात,
मैं तेरे खातीर जीवन के
सुख दुःख की चादर को बुन लूंगा
तू मेरे लिए शिक्षा की
गठरी अपने सर पे उठा लेना,,,2
मैं तेरे लिए जीवन की
हर पीड़ा को सह लूंगा
जो तुझे चाहिए खुशियां
वो मै तुझे हर हाल में लाकर
दूँगा,,,,,,2
मैं तेरे चैहेरे पर तनिख भी
सिकन ना आने दूँगा ,
तेरे अंतर्मन में मैं उदासी ना
छाने दूँगा , जो तुझे चाहिए
मेरे मुन्ने मैं तुझे वो सारी खुशियां
लाकर दूँगा,,,,,,2
तू पढ़ लिखकर आगे बढ़ना
जीवन कि हर जंग को अपनी
कलम कि ताक़त से लड़ना ,
आज मैं तेरी ढाल बना हु
कल तू मेरी ताकत बनना,,,,2
बस इतना ध्यान तू रखना
मेरे मुन्ने जब कमर झुकेगी
मेरी तब तू मुझे अपनी कलम
की ताकत से सहारा देना,
मेरा सर झुके ना कभी भी कही
पे बस इस बात पर ध्यान तू देना
और तेरे कुल का गौरव बना रहे इतना सम्मान तू इस जग से लेना,,,,,,,2
कवी : रमेश हरीशंकर तिवारी
( रसिक बनारसी )